कंप्यूटर में डाटा संचारण क्या है ? यह किस तरह से कार्य करता है, डाटा संचारण का वर्गीकरण किस डाटा प्रवाह पर निर्भर करता है और इसके कौन-कौन से माध्यम है। इन सभी की जानकारी आपको इस अध्याय में पढ़ने के लिए मिलेगी।
1. डाटा संचारण :-
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में डाटा संचारण की आवश्यकता होती है। हमेशा हमारा यह प्रयास होता है कि डाटा को जल्दी से जल्दी सुरक्षित एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहंचाया जाए।
किसी देश के विकास में भी संचार माध्यमों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
जिस प्रकार समाचार – पत्र व टीवी न्यूज चैनल्स – देश-विदेश में घटने वाले विभिन्न घटनक्रमों को घटना स्थल से अलग-अलग संचार माध्यमों से सूचनाओं व आंकड़ों को हर जगह पहुंचाते हैं। इन आंकड़ों से ही सरकारों द्वारा एक्शन लिए जाते हैं।
जैसे किसी स्थान पर रेल दुर्घटना होने पर इसकी सूचना के आंकड़े पूरी दुनिया को टीवी न्यूज चैनलों व समाचार पत्रों से ही मिलते हैं जिससे प्रशासन शीघ्र ही बचाव कार्य शुरु कर सके और कम से कम जन व धन की हानि होने बचा सके।
उद्योग जगत, व्यापारिक प्रतिष्ठान व शेयर मार्केट के लोगों को तुरन्त ही आंकड़ों को एक स्थान से दूसरे स्थानों पर भेजना होता है। इसके लिए वह संचार साधनों जैसे टेलिफोन, फैक्स, इन्टरनेट, ई – मेल आदि को उपयोग में लेते हैं।
भारत देश के कई राज्यों में भी सरकारें e – governance पर कार्य कर रही है जिससे राज्य की जनता को सरकार से यदि कोई सूचना, आंकड़े, प्रमाण-पत्र और नक्शे की कॉपी इत्यादि चाहिए तो वह उन्हें तुरन्त मिल सके।
सरकारी विभागों की सबकी अपनी वेब साइट हैं, इनके माध्यम से उस विभाग से सम्बन्धित सम्पूर्ण जानकारीयां लोगों को हमेशा उपलब्ध रहती है।
डाटा संचारण के प्रमुख कार्य निम्न हैं :-
(i) प्रोसेसिंग इकाइयों के मध्य डाटा का स्थानान्तरण ।
(ii) रिमोट ऑन – लाईन टर्मिनल एवं केन्द्रीय प्रोसेसिंग इकाइयों के मध्य आगम / निर्गम ऑपरेशन।
(iii) कम्यूटीकृत सूचना इलेक्ट्रॉनिक्स माध्यमों अथवा ऑप्टिकल संचारण द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान को संचारित की जा सकती है।
डाटा तथा विडियो डाटा एवं ध्वनि सिस्टमों में प्रमुख अंर्तनिहित अन्तर निम्नलिखित होते हैं –
(i) ध्वनि एवं विडियो डाटा में भावुक शब्दों का समावेश होता है जबकि डाटा में ऐसा नहीं होता है।
(ii) ध्वनि एवं विडियो अशुद्धि एवं गलतियों के कारण प्रभावित नहीं होता है जबकि डाटा अशुद्धि एवं गलतियों के लिए अत्यधिक संवेदनशील है।
(iii) ध्वनि एवं विडियों में शिष्टाचार शब्दों का अतिरिक्त समावेश होता है जिसके कारण यदि संचार के समय कुछ छूट जाता है तो पुनः स्थापित किया जा सकता है जबकि डाटा के साथ यह संभव नहीं है।
2. संचार प्रणाली :-
संचार प्रणाली एक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली होती है। जिसके अंतर्गत केबल या वायरलेस के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान डाटा भेजा जाता है।
संचार प्रणाली के चार मूलभूत तत्व होते हैं।
(i) सेंडिग एवं रिसीविंग उपकरण :- यह विशिष्ट संचार उपकरण है। इनसे डाटा, सूचना और सुझाव के रूप में संदेश का आदान-प्रदान होता है।
(ii) संचार चैनल :- यह संदेशों को ले जाने वाला वास्तविक ट्रांसमिशन या कनेक्टिंग माध्यम है।
यह माध्यम तार, कंबल या वायरलेस का भी हो सकता है।
(iii) कनेक्शन डिवाइस :- इसे संचार डिवाइस भी कहते है। जो यह रिसीविंग, सेंडिंग एवं संसार चैनलों के बीच इंटरफ़ेस कराता है। यह संदेशों को ऐसे रूप में बदलता है, कि वह संचार चैनल पर सुदूर आगमन कर सके।
(iv) डाटा ट्रांसमिशन स्पेशसिफिकेशन :- यह नियम एवं प्रक्रिया है जो सेंडिंग और रिसिविंग उपकरणों में समन्वय करने के साथ यह सुनिश्चित करता है कि संदेश संचार चैनल के पार कैसे जाएगा।
उदाहरण – यदि आप किसी दोस्त को एक ईमेल भेजना चाहते हैं तो आप संदेश तैयार करके कंप्यूटर के सेंडिंग उपकरण के जरिए भेज सकते हैं।
आपका मॉडेम, जो एक संचार उपकरण है,संदेश को परिवर्तित और संशोधित कर सकता है। जिससे वह टेलीफोन लाइन की तरह संचार चैनल से आवागमन कर सकता है।
डाटा ट्रांसमिशन स्पेसिफिकेशन के अंतर्गत संदेशों को पुनः परिवर्तित, संशोधित और भेजने लायक जब आपका संदेश चैनल से यात्रा करते हुए आपके दोस्त के कंप्यूटर पर पहुंचता है तो, रिसीवर का मॉडम उपकरण उसे पुन: परिवर्तित करके उसके कंप्यूटर पर नजर लाने लायक बनाता है।
3. डाटा संचारण प्रवाह की प्रणालियां :-
डाटा संचारण का वर्गीकरण डाटा प्रवाह पर निर्भर करता है।
डाटा प्रवाह निम्न तीन विधियों से सम्भव है :-
(i) सिम्पलेक्स विधि :- इसमें डाटा का प्रवाह एक ही दिशा में होता है अर्थात एक किनारे पर प्रेषी और दूसरे पर ग्राही होगा
(ii) अर्द्ध द्वैध मोड :- इसमें डाटा का प्रवाह दोनों ओर सम्भव है, लेकिन एक बार में एक ओर ही होता है और डाटा परिवर्तन की प्रक्रिया “सम्बन्धित लाइन की ओर” होती है और समय काफी लगता है।
(iii) पूर्ण द्वैध मोड :- इसमें डाटा को दोनों ओर संचारित किया जा सकता है। इसमें समय कम लगता है और इसमें संचारण लिंक अधिकतम फंक्शन उपलब्ध कराता है।
इसमें डाटा संचारण के लिए संचार उपग्रह का इस्तेमाल करते हैं।
4. डाटा संचारण के माध्यम :-
डाटा को संचारित करने के लिए उसे भेजने वाले व प्राप्त करने वाले के बीच एक संचार माध्यम की आवश्यकता होती है।
इन संचार माध्यमों के विकास के कारण पर ही मानव एक दूसरे के नजदीक आया है। और Global Village की अवधारणा सत्य साबित हुई है।
संचारण माध्यम की दो श्रेणियां हैं – पहली श्रेणी में भौतिक कनेक्शन रिसिविंग उपकरणों को जोड़ते हैं जैसे तार या केबल आदि है।
दूसरी श्रेणी में वायरलैस है जिसमें ब्लूटूथ, शेयरइट, एक्सजैन्डर आदि आते हैं।