घर्षण से हम भलीभांति परिचित है। घर्षण बल सदैव दो वस्तुओं के मध्य परस्पर गति का विरोध करता है। घर्षण बल सदैव गति की दिशा के विपरीत दिशा में लगता है।
सतह को चिकनी करके घर्षण को कम किया जा सकता है, परंतु घर्षण को शून्य नहीं किया जा सकता है।
लोटनी घर्षण – ईट या किसी वस्तु को तीन या चार बेलनाकार रोलरों जैसे लोहे के पतले बेलन पर रखकर धकेलने पर हम पाते हैं की ईट आसानी से खिसक जाती है।
रोलरों एवं पहियों पर गति करने वाली वस्तु की स्थिति में घर्षण को लोटनी घर्षण कहते हैं।
दो समान प्रकार के धरातलों में लोटनी घर्षण का मान सर्पी घर्षण से कम होता है। अतः मशीनों में पहिए और रोलरों का उपयोग करते हैं।
सीमांत घर्षण – एक ईट को टेबल पर रख कर अपनी उंगली से धकेलने का प्रयास करने पर प्रारंभ में जब बल का मान कम होता है ईट नहीं खिसकती है।
इस समय ईट पर लगाया गया बल एवं इस पर लगा घर्षण बल दोनों आपस में संतुलन में तथा एक-दूसरे के विपरीत दिशा में है।
जैसे-जैसे हम ईट पर लगाए गए बल को बढ़ाते हैं, घर्षण बल भी साथ-साथ बढ़ता जाता है। एक स्थिति में जब लगाए गए बल को अधिक सीमा तक बढ़ाया जाता है तो ईट खिसकने लगती है।
उस बल का परिमाण जो ईट को खिसकाने मात्र के लिए पर्याप्त होता है वह सीमांत घर्षण कहलाता है।
सर्पी घर्षण – जब कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु के धरातल पर किस खिसकती हुई चलती है, तो दोनों धरातलों के मध्य के घर्षण को सर्पी घर्षण कहते हैं।
सर्पी घर्षण तब तक क्रिया करता है जब तक दोनों वस्तुओं को सापेक्ष गति होती है। वस्तु से बाह्रा बल हटा लेने पर भी घर्षण बल क्रिया करता रहता है।
वायु एवं द्रव में गतिशील वस्तुओं पर घर्षण –
वायु एवं द्रव में गतिशील वस्तुओं पर भी घर्षण बल कार्य करता है। यह घर्षण बल ठोस सतहों की तुलना में कम होता है।
उल्काएं जब अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती है। इनके अधिक वेग होने से वायु के घर्षण के कारण अत्यधिक उष्मा उत्पन्न होती है और वे चमकने लगते हैं।
तेज गति से चलने वाले वाहनों, मोटर गाड़ी, अंतरिक्षयानों एवं वायुयानों में वायु का घर्षण कम करने के लिए इन्हें विशेष डिजाइन के द्वारा बनाया जाता है। जिससे हवा का बल कम हो सके।
घर्षण का नियंत्रण – घर्षण बल सदैव दो सतहों के बीच गति का विरोध करता है।
घर्षण के कारण मशीनों के गतिमान पुर्जे घिसते रहते हैं और गर्म हो जाते हैं जिससे इन पुर्जो की क्षती होती है।
Friction Force को हम निम्न प्रकार से नियंत्रित कर सकते हैं –
(i) वायु के कारण घर्षण कम करने के लिए मोटर वाहन, रेल गाड़ियों के इंजन एवं वायुयान विशेष डिजाइन के द्वारा बनाए जाते हैं।
(ii) चिकनी सतह में घर्षण कम होता है अतः मशीनों के गतिमान भागों को बहुत चिकने बनाकर घर्षण को कम किया जा सकता है।
(iii) लोटनी घर्षण, सर्पी घर्षण से सदैव बहुत कम होता है। अतः मशीनों में घर्षण कम करने के लिए गतिशील पुर्जो के मध्य स्टील की गोल गेंदे लगा दी जाती है, इनको बॉल बियरिंग कहते हैं।
बॉल बेयरिंग से घर्षण कम होता है, जिससे ऊर्जा एवं श्रम की बचत होती है।
घर्षण की आवश्यकता – घर्षण बल मशीनों में ऊर्जा का क्षय कर मशीनों की दक्षता कम करता है परंतु कई स्थितियों में घर्षण को बढ़ाने की आवश्यकता होती है।
Friction को बढ़ाने के लिए माचिस की डिब्बी व तीलियों खुरदरा बनाया जाता है ताकि तीलिया रगड़ से आसानी से जल सके।
घर्षण के कारण जो प्रतिक्रिया बल उत्पन्न होता है, वह उस पहिए को पीछे फिसलने से रोकता है जिससे पहिया लुढ़क कर आगे की ओर बढ़ता है।
यदि घर्षण कम हो जैसे कभी कभी रेत या कीचड़ में होता है तो बल लगाने पर पहिया उसी स्थान पर घूमता रहता है।
वाहनों के टायर को घर्षण बढ़ाने के लिए खुरदरा बनाया जाता है, जिससे उनकी सड़कों पर पकड़ बढ़ जाती है जो उन्हें फिसलने से रोकते हैं।
घर्षण बल के कारण ही ब्रेक लगाकर वाहन को रोका जा सकता है।
Friction Force के लाभ तथा हानियां निम्न प्रकार है –
घर्षण के लाभ – 1. घर्षण के द्वारा ही ब्रेक द्वारा वाहन को रोकना संभव होता है।
2. घर्षण हमें चलने में सहायता करता है, बिना घर्षण के परसपरम फिसल कर गिर सकते हैं।
3. किसी लकड़ी या दीवार आदि में कील या पेज घर्षण के कारण ठहरे रहते हैं।
4. बिना घर्षण के रस्सी में गांठ लगाना या कपड़ा बुनना संभव नहीं होता है।
5. सड़क पर पहिए के वाहनों को चलते एवं घूमने में घर्षण बल सहायक होता है। बिना घर्षण वाहनों का चलना या मोड़ना संभव नहीं हो सकता।
6. बिना घर्षण के हम पहने पेंसिल को हाथ में पकड़ कर उससे लिख नहीं सकते हैं।
घर्षण की हानियां – 1. वाहनों में लगभग 20% ईंधन घर्षण बल के कारण अधिक खर्च होता है।
2. घर्षण के कारण मशीन में उच्च मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न हो जाती है और जो मशीन की कार्य क्षमता में बाधा उत्पन्न करते हैं, जिससे मशीन को हानि हो सकती है।
3. घर्षण के कारण ऊर्जा के हानि होती है, इस कारण मशीन की दक्षता घट जाती है।
4. घर्षण बल के कारण मशीनों के पुर्जो में घिसावट एवं टूट-फूट हो सकती है।