ध्वनि के कंपन हमारे कानों में जो संवेदना उत्पन्न करते हैं उनसे ही हम आवाज सुन पाते हैं। दैनिक जीवन में विभिन्न स्रोतों की ध्वनि हम सुनते हैं।
ऊर्जा के विभिन्न रूप जैसे विद्युत ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा, यांत्रिक ऊर्जा, ऊष्मा, नाभिकीय ऊर्जा आदि। इनमें से ही ऊर्जा का एक रूप है ध्वनि ऊर्जा।
ध्वनि का संचरण –
वस्तुओं के कंपन जिस पदार्थ से होकर गुजरते हैं वह माध्यम कहलाता है। ध्वनि ठोस, द्रव एवं गैस तीनों माध्यम से संचरण कर सकती हैं।
जब कोई वस्तु कंपन करती है तो माध्यम के कण कंपन करते हुए अपनी उर्जा निकटवर्ती माध्यम कणों को स्थानांतरित करते हैं।
जिससे समीपवर्ती कण कंपमान होकर इसी ऊर्जा को आगे से कणों को देकर कंपमान कर देती है।
इस प्रकार ध्वनि एक कण से निकटवर्ती कणों में स्थानांतरित होती हुई हमारे कानों तक पहुंचती है।
ध्वनि संचरण में केवल विक्षोभ संचरित होते हैं, माध्यम के कणों का कुल विस्थापन शून्य रहता है।
वायु ध्वनि संचरण के लिए सबसे सामान्य माध्यम हैं।
जब कम्पीत वस्तु पीछे की ओर कंपन करती है तो विरलन उत्पन्न होता है। संपीडन एवं विरलन ध्वनि तरंग बनाते हैं जो माध्यम से होकर संचरित होती है।
संपीडन उच्च दाब का क्षेत्र तथा विरलन निम्न दाब का क्षेत्र है।
ध्वनि संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता –
इसकी यांत्रिक तरंग तथा इसके संचरण के लिए किसी माध्यम जैसे – जल, लौहे, वायु आदि की आवश्यकता होती है।
ध्वनि तरंगों की प्रकृति – तरंगों के कंपन एवं संचरण की दिशा के आधार पर दो प्रकार से विभाजित किया जाता है –
(1) अनुप्रस्थ तरंगे – जिन तरंगों में कंपन संचरण की दिशा में लंबवत होते हैं, उन्हें अनुप्रस्थ तरंगे कहते हैं।
उदाहरण – प्रकाश तरंगे, तनी हुई रस्सी में संचरित ऊर्जा आदि।
(2) अनुदैर्ध्य तरंग – जिन तरंगों में कंपन संचरण की दिशा में अनुदिश होते हैं, उन्हें अनुदैर्ध्य तरंगे कहते हैं।
उदाहरण – स्प्रिंग में उत्पन्न तरंगे, ध्वनि तरंगें आदि।
ध्वनि तरंगे अनुदैर्ध्य प्रकृति की है।
ध्वनि तरंगों के अभिलक्षण – किसी ध्वनि तरंग के तीन अभिलक्षण होते हैं।
(1) आवृत्ति
(2) आयाम
(3) वेग
दो क्रमागत संपीडन अथवा दो क्रमागत विरलनों के बीच की दूरी तरंग दैर्ध्य कहलाती है।
इसे सामान्यतः £ से प्रदर्शित करते हैं।
आवर्ती – एकांक समय में किए गए कंपनो या दोलनों की संख्या ध्वनि तरंग की आवृत्ति कहलाती है।
इसे v से प्रदर्शित करते हैं। इसका SI मात्रक हर्टज (Hz) है।
आवर्तकाल – दो क्रमागत संपीडन हो या दो क्रमागत विरलानो को निश्चित बिंदु से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्तकाल कहते हैं।
अर्थात माध्यम के कणों द्वारा एक दोलन पूर्ण करने में लगा समय आवर्तकाल कहलाता है।
इसे ‘T’ से प्रदर्शित करते हैं। इसका SI मात्रक सेकंड है।
आयाम – मूल स्थिति से माध्यम के विक्षोभ का अधिकतम विस्थापन आयाम कहलाता है।
इसे A से प्रदर्शित करते हैं।
वेग – तरंग में किसी बिंदु द्वारा एक सेकंड में तय दूरी को तरंग वेग कहते हैं। तरंग का वेग माध्यम पर निर्भर करता है।
किसी माध्यम में तरंग का वेग नियत रहता है। जब किसी भी माध्यम में तरंग की आवृत्ति बढ़ती है, तो तरंग दैर्ध्य घटता है।
तीव्रता –
एक सेकंड में एकांक क्षेत्र से गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं।
ध्वनि की तीव्रता मापी जा सकती है। ध्वनि की तीव्रता का संबंध उसकी ऊर्जा से है।
प्रबलता – कानों के संवेदनशीलता की माप को ध्वनि की प्रबलता कहते हैं। ध्वनि की प्रबलता को मापा नहीं जा सकता है।
ध्वनि की प्रबलता तरंग की ऊर्जा की तुलना में हमारे कानों की संवेदनशीलता पर अधिक निर्भर करती है।
प्रबलता ध्वनि का वह गुण है जिसके आधार पर कोई ध्वनि तेज अथवा धीमी सुनाई पड़ती है।
धीमी सुनाई देने वाली ध्वनि की प्रबलता कम तथा तेज सुनाई पड़ने वाली ध्वनि की प्रबलता अधिक होती है।
गुणवत्ता ध्वनि का वह गुण है जिसके आधार पर दो समान तारत्व तथा समान प्रबलता वाली ध्वनियों में विभेद किया जा सकता है।
तारत्व में ध्वनि की आवृत्ति पर निर्भर करता है। उच्च आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व ऊंचा होता है तथा यह ध्वनि बारिक सुनाई पड़ती है।
जबकि इसके विपरीत निम्न आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व नीचा होता है तथा यह ध्वनि मोटी सुनाई पड़ती है।
ध्वनि की प्रबलता ध्वनि के माध्यम पर निर्भर करने के साथ-साथ कान की संवेदनशीलता पर भी निर्भर करती हैं।
एक ही ध्वनि किसी व्यक्ति के लिए प्रबल तथा दूसरे के लिए मृदु हो सकती है।
विभिन्न प्रकार के माध्यमो में ध्वनि की चाल –
ध्वनि की चाल माध्यम के गुणों तथा माध्यम के ताप पर भी निर्भर करती है।
ध्वनि की चाल ठोसो में अधिक तथा गैसों में कम होती है। ताप बढ़ने पर ध्वनि की चाल बढ़ती है।
सामान्यत 0 °C पर ध्वनि की चाल 330 m/s होती हैं।
ध्वनि के विभिन्न माध्यमों में चाल नीचे दर्शाई गई है –
————————————————————–
अवस्था पदार्थ चाल m/s
————————————————————–
ठोस –
एलुमिनियम 6420
निकिल 6040
स्टील 5960
लोहा 5950
पीतल 4700
——————————————
द्रव –
जल (समुद्री) 1531
जल (आसुत) 1498
इथेनॉल 1207
मेथेनॉल 1103
————————————————————–
गैस –
हाईड्रोजन 1284
हीलियम 965
वायु 346
ऑक्सीजन 316
सल्डाफर डाइ ऑक्साइड 213